अनिल अनूप भारत में डेढ़ करोड़ वेश्याएं हैं यह संख्या कई देशों की कुल जनसंख्या से भी अधिक है। इस देश में गंगा (नदी) माता है, गाय (जानवर) माता है, धरती माता है, अच्छी बात है, ये हमारे प्रकृति के प्रति प्रेम और संवेदनशीलता को दर्शाता है पर असंवेदनशीलता की पराकाष्ठा है कि कई औरतें वेश्या हैं जिनकी संख्या हजार दो हजार नहीं लगभग डेढ़ करोड़ है। आजादी के बाद दशक दर दशक भारत कथित तरक्की करता रहा, सरकारें बदलती रहीं, कथित रूप से महान नेता आते रहे, पर इनका विकास तो दूर इन्हे इस धंधे से मुक्त करने को कोई भी आगे नहीं आया। कानून बना दिया कि भारत में देह व्यापार गैरकानूनी है, इस कानून से किसी को फायदा हुआ तो बस पुलिस और कुछ दलालों का जिन्हे जब भी पैसे कमाना हुआ तो छापा मार के कुछ को गिरफ्तार किया, पैसे ऐंठे, और फिर उन्हे उनके सामर्थ्य पर छोड़ दिया इस चेतावनी के साथ कि इस धंधे को छोड़ कर कुछ और करो। वे महिलाएं भी कुछ दिन बाद थक हार के फिर उसी धंधे मे लौट आती हैं क्योंकि उनके पास कोई हुनर नहीं कि वे कुछ काम कर सकें जीविकोपार्जन के लिए और ऊपर से उनकी वेश्या की पहचान जिससे समाज उन्हे कभी सम्मान नहीं दे...