ब्यूटी और मसाज पार्लर की आड़ में देहब्यापार (अंतिम भाग)

भारतीय समाज की हमेशा से ही यह खासियत रही है कि यहां पुरुषों को महिलाओं से ज्यादा शक्तिशाली और उनसे कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण होने का सौभाग्य प्राप्त करता

खासियत रही है कि यहां पुरुषों को महिलाओं से ज्यादा शक्तिशाली और उनसे कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण होने का सौभाग्य प्राप्त करता आया है. यूं तो प्रकृति ने पहले से ही महिलाओं को पुरुषों की अपेक्षा शारीरिक रूप से कमजोर बनाया है लेकिन सामाजिक और पारिवारिक क्षेत्र में उन्हें पुरुषों की तुलना में किस कदर कमजोर बना दिया गया है इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि जहां कहीं भी किसी महिला पर अत्याचार होता है उसका कारण प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में पुरुष ही होता है. पारिवारिक क्षेत्र में देखें तो विवाह से पहले उसे अपने पिता और भाई के सामने सिर झुका कर रहना पड़ता है और विवाह के पश्चात पति की आज्ञा मानना और ससुरालवालों की सेवा करना ही उसका एकमात्र धर्म रह जाता है. वहीं जब सामाजिक क्षेत्र पर नजर डाली जाए तो हालात इससे भी कहीं ज्यादा कष्टकारी नजर आते हैं. बलात्कार, यौन शोषण, शारीरिक हिंसा, आदि कुछ ऐसे बेहद जघन्य अपराध है जो पुरुष द्वारा महिलाओं के प्रति किए जाते हैं. जिसके परिणामस्वरूप आज की तारीख में कोई भी महिला, फिर वे कोई बड़ी सिलेब्रिटी हो या फिर एक आम महिला, शायद अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित ना हो. दामिनी कह लीजिए, निर्भया कह लीजिए या फिर गुड़िया, एक आम लड़की समाज में मौजूद पुरुष रूपी भेड़िए की शिकार बनती ही आई है लेकिन बड़ी-बड़ी कंपनियों में कार्यरत पढ़ी-लिखी महिलाएं और चकाचौंध से भरी माया नगरी में अपनी अदाओं के जलवे बिखेरने वाली महिलाएं भी पुरुषों के चंगुल से खुद को पूरी तरह सुरक्षित नहीं पाती हैं. भले ही हम इस बात पर यकीन ना करें कि बड़ी-बड़ी हस्तियां भी शारीरिक शोषण का शिकार होती हैं लेकिन लोकप्रिय सिने तारिका चित्रांगदा सिंह का कहना है कि जहां भी पुरुषों का वर्चस्व होगा वहां महिलाओं के साथ यौन शोषण जैसी बातें भी जरूर होंगी. अब सोचने वाली बात यह है कि भारत में ऐसा क्षेत्र कौनसा है जहां पुरुषों का रसूख नहीं है? क्योंकि राजनीति, सिनेमा, पत्रकारिता, शिक्षा आदि बड़े क्षेत्रों में पुरुषों को ही महत्वपूर्ण भूमिका में देखा जाता है. ऐसे हालातों में कहां और कब तक महिलाएं सुरक्षित हैं इसका जवाब देना शायद किसी के लिए भी मुमकिन नहीं है. लिव-इन संबंध: बदलाव नहीं भटकाव का सूचक हालिया चर्चित मामला नामी-गिरामी पत्रीका ‘तहलका’ की महिला रिपोर्टर से जुड़ा है जिसने तहलका के एडिटर इन चीफ तरुण तेजपाल पर यौन शोषण का आरोप लगाया है. इस आरोप के चलते तरुण तेजपाल को अपनी इज्जत और कुर्सी से हाथ तो गंवाना पड़ा लेकिन इस अपराध के चलते कानून द्वारा उन्हें सजा कब होगी इस बात पर जिक्र ना ही करें तो सही है. खैर यह पहला ऐसा मामला नहीं है जब नामी-गिरामी लोगों पर महिला सह-कर्मचारी के साथ छेड़खानी या उनका शारीरिक शोषण करने के आरोप लगते रहे हैं. लेकिन अफसोस पैसे और पॉवर के बल पर ये बड़े लोग अपने अपराध से बचते आए हैं और इसमें कोई बड़ी बात भी नहीं है कि वे आगे भी बचते रहें. स्कूल, कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चे अपनी एक्स्ट्रा पॉकेट मनी के लिए, नशे के शिकार लोग अपनी लत पूरी करने के लिए या फिर गरीबी से त्रस्त लोग चोरी-चकारी जैसे धंधे में धसते चले जाते हैं वहीं कुछ लोग अपनी अनैतिक इच्छाओं की पूर्ति के लिए गलत काम करने शुरु कर देते हैं. आपने कई बार तो ये भी सुना होगा कि दिन में अच्छा भला इंसान दिखने वाला व्यक्ति रात के समय हैवान बन जाता है लेकिम जिस खबर से हम आपको रुबरू करवाने जा रहे हैं वैसी घटना से आपका सामना कभी ना हुआ हो. बंगलूरु पुलिस ने एक ऐसे चोर को पकड़ा है जो दिन में तो एक नामी-गिरामी एमएनसी (बहुराष्ट्रीय कंपनी) में मैनेजर के पद पर काम करता है और रात होते ही चेन स्नैचर बनकर राह चलते लोगों को लूटता है. आरुषि हत्याकांड: दोषी तलवार दंपत्ति नहीं हालात थे!! एमबीए की डिग्री प्राप्त साइकेत गूइन दिन में तो एक जानी-मानी बहुराष्ट्रीय कंपनी में ऑपरेशन एनालिस्ट
डेवलेपमेंट मैनेजर के तौर पर काम करता था लेकिन रात होते-होते वह ऐसी बाइक गैंग का सदस्य बन जाता था जो राह चलते लोगों के गले से चेन खींच लेते हैं. साइकेत गुइन अपने 20 वर्षीय दोस्त सोनक दत्ता के साथ मिलकर बंगलुरु की गलियों में आतंक मचाते थे. पुलिस की मानें तो पिछले एक साल से यह दोनों चेन-स्नैचिंग जैसे धंधा कर रहे थे और इस एक साल में शहर में हुई चेन-स्नैचिंग की वारदातों में से 40 घटनाओं में इनका हाथ था. साइकेत और सोनक के बारे में सुनकर अगर आपको ये लग रहा है कि हालातों की वजह से दोनों चोरी-चक्कारी जैसे धंधे में लिप्त ओ गए होंगे लेकिन शायद आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि 27 वर्षीय

 साइकेत और 27 वर्षीय सोनक दोनों ही काफी समृद्ध परिवार से आते हैं जिन्हें ना तो पैसे की दिक्कत है और ना ही इज्जत और सम्मान पाने में ही उनके परिवार पीछे नहीं है. सोनक दत्ता और साइसाइकेत गुइन दोनों एक पार्टी में एक दूसरे से मिले और दोनों ने एक बाइक गैंग बनाकर चेन स्नैचिंग का धंधा करने की ठान ली. अब इस निर्णय के पीछे का जो कारण था वह वाकई ये सोचने के लिए मजबूर कर देगा कि हमारी युवा पीढ़ी आखिर किस दिशा में जा रही है? जब कमजोरी ही ताकत बन जाए तो कोई हरा नहीं सकता l उल्लेखनीय है कि मात्र रोचकता का अनुभव करने के लिए, जिसे आजकल एडवेंचर के नाम से ज्यादा जाना जाता है, इन दोनों ने कुछ खतरनाक काम करने का निश्च्य किया था जिसके परिणाम के बारे में शायद उन्होंने कभी नहीं सोचा होगा. जिस युवा पीढ़ी को हम भारत का भविष्य समझते हैं वह दर-बदर भटकते हुए आज ऐसे मुकाम पर जा पहुंचे हैं जहां आगे का रास्ता सिर्फ और सिफ अंधेरों से ही घिरा हुआ है. शौक पूरा करने के नाम पर और जीवन को थोड़ा रोचक बनाने के लिए युवा अपने भविष्य का सौदा करते जा रहे हैं. कुछ समय के मजे के लिए वह अपना पूरा जीवन दांव पर लगाने से भी गुरेज नहीं करते. हर चीज में मजे की तलाश करते हुए वे हर गंभीर चीज को शौकिया तरीके से स्वीकार करने लगे हैं. नाजाने क्यों आज की पीढ़ी के बीच एक अजीब सी जिज्ञासा विकसित हो गई है, एक अजीब सा शौक पैदा हो गया है जिसे पूरा करने के लिए वह किसी भी हद तक जा सकते हैं. कुछ खतरनाक करने का उनका शगल इतना बढ़ चुका है जिसकी कोई अति नहीं है. आजाद भारत: हकीकत कम अफसाने ज्यादा शारीरिक संबंधों से लेकर ड्रग्स की लत तक वे लगभग सभी तरीके आजमाते हैं ताकि किसी तरह तो वह खुद को संतुष्ट कर सके. हर क्षेत्र में कुछ अलग करने की उनकी महत्वाकांक्षा ने आज उन्हें एक ऐसे दोराहे पर ले आई है जहां एक तरफ कुआं है और एक तरफ खाई और जिस तलवार की धार पर वो चल रहे हैं उसपर जख्मों के अलावा उन्हें कुछ और हासिल भी नहीं होने वाला.

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