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पतिता, अभिशाप या वरदान.. ..: वृत्ति भी और प्रवृत्ति भी है वेश्यावृत्ति

पतिता, अभिशाप या वरदान.. ..: वृत्ति भी और प्रवृत्ति भी है वेश्यावृत्ति : अनिल अनूप  भारत में वैश्या वृत्ति भी है और प्रवृत्ति भी यहाँ दो प्रकार का देह व्यापार हो रहा है एक तो दहेज़ के नाम पर देह व्यापार जिसमें पु...

रंडीबाजी क्यों करती हो?

अनिल अनूप  कपड़े सँभालते हुये उसने दिन के अपने अंतिम ग्राहक से पूछा - साहेब! अपनी औलाद के बारे में कुछ बताओ। ग्राहक को अचरज हुआ। वह बैठ गया। 'तुमने क्यों पूछा?' 'बस ऐसे ही। अब्बू की याद आ गई।.... हरामी! तुम्हारी छुअन वैसी ही लगी मुझे। कहाँ थे अब तक?' नीमजाड़ा था लेकिन वह फिर से पसीने पसीने हो गया। उसमें इतनी अक्ल नहीं थी कि थोड़ी देर पहले के पसीने से इस पसीने का फर्क कर पाता। बहुत ही कमजोर आवाज़ में उसने पूछा - गाली देनी ज़रूरी थी? 'साहेब! मेरे ग़म में अब्बू जरूर चल बसे होंगे...बिना गाली के पूछ नहीं पाती। ... आप ने बताया नहीं?' 'बेटी है एक।' 'क्या उमर होगी?' 'बारह ... क्यों?' उसने नाक सुड़की और मुँह दूसरी ओर कर लिया - रंडीबाजी क्यों करते हो? एक बेटी के बाप हो... उसका चेहरा लाल हो गया। वह चिल्लाया - औकात में रहो! हालाँकि भीतर कुछ जल उठा था जिसे उसने बची हुई दारू को गटक बुझाने की कोशिश की। 'हमारी औकात तो आप से है जान! ...बुरा मत मानो। चार बरस हो गये, बारह की ही थी तो यहाँ उठा लाई गई थी।... तुम्हारी जोरू ....' उसने बात अधूरी छोड़ द...

वृत्ति भी और प्रवृत्ति भी है वेश्यावृत्ति

अनिल अनूप  भारत में वैश्या वृत्ति भी है और प्रवृत्ति भी यहाँ दो प्रकार का देह व्यापार हो रहा है एक तो दहेज़ के नाम पर देह व्यापार जिसमें पुरुष वेश्याएं अपनी देह बेच रही हैं और दूसरे प्रकार का देह व्यापार कि जिसमें नारी देह सामान की तरह खरीदने का अपमान है। पहले पुरुष वेश्याओं की बात हैं .---- दहेज़ निश्चय ही "देह व्यापार " है और दहेज़ ले कर शादी करनेवाले दूल्हे / पति "पुरुष वैश्या". दहेज़ वैश्यावृत्ति है और दहेज़ की शादी से उत्पन्न संताने वैश्या संतति. याद रहे वैश्या की संताने कभी क्रांति नहीं करती तबले सारंगी ही बजाती हैं .लेकिन ताली दोनों हाथ से बज रही है. जब तक सपनो के राजकुमार कार पर आएंगे पैदल या साइकिल पर नहीं तब तक दहेज़ विनिमय होगा ही . जबतक लड़कीवाले लड़के के बाप के बंगले कार पर नज़र रखेंगे तब तक लड़केवाले भी लड़कीवालों के धन पर नज़र डालेगे ही. इस तरह की वैश्यावृत्ति से आक्रान्त समाज में अब लडकीयाँ अपने थके हुए माँ -बाप की गाढ़ी कमाई पुरुष देह को अपने लिए खरीदने के लिए खर्च करने को मौन /मुखर स्वीकृति देती हैं ...यदि स्वीकृति नहीं भी हो तो विरोध तो नहीं ही करती ...

इज्जत के लिए घर में बैठ सकती पेट के लिए नहीं•••••

अनिल अनूप  मेरी जैसी कई औरतों को अपना शरीर बार-बार बेचना पड़ता है।’’ एक औरत की जुबान से पहली बार ऐसा सुन कर मैं झिझक गया। सपना ने बेझिझक आगे कहा, ‘‘पेट के लिए करना पड़ता है। इज्जत के लिए घर में बैठ सकती हूं। लेकिन…’’ इसके बाद वह चुपचाप एक गली में गयी और गुम हो गयी। देश के कोने-कोने से हजारों मज़दूर सपनों के शहर मुंबई आते हैं। लेकिन उनके संघर्ष का सफर जारी रहता है। इनमें से ज्यादातर मज़दूर असंगठित क्षेत्र से होते हैं। सुबह-सुबह शहर के नाकों पर मज़दूर औरतें भी बड़ी संख्या दिखाई देती हैं। इनमें से कइयों को काम नहीं मिलता। इसलिए कइयों को ‘सपना’ बनना पड़ता है। तो क्या ‘‘पलायन’’ का यह रास्ता ‘‘बेकारी’’ से होते हुए ‘‘देह-व्यापार’’ को जाता है? शहर के उत्तरी तरफ, संजय गांधी नेशनल पार्क के पास दिहाड़ी मज़दूरों की बस्ती है। यहां के परिवार स्थायी घर, भोजन, पीने लायक पानी और शिक्षा के लिए जूझ रहे हैं। लेकिन विकास योजनाओं की हवाएं यहां से होकर नहीं गुजरतीं। इन्होंने अपनी मेहनत से कई आकाश चूमती इमारतें बनायी हैं। ख़ास तौर से नवी मुंबई की तरक्की के लिए कम अवधि के ठेकों पर अंगूठा लगाया है। इन्ह...

बाछडा समाज की देहमण्डी : मंदसौर

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-अनिल अनूप  जिस तरह देश में मंदसौर अफीम उत्पादन तस्करी के लिए मशहूर है उसी तरह नीमच मंदसौर रतलाम के कुछ खास इलाके भी बाछड़ा समाज की देह मंडी के रुप में कुख्यात है। जो वेश्यावृत्ति के दूसरे ठिकानों की तुलना में इस मायनें में अनूठे हैं कि यहां सदियों से लोग अपनी ही बेटियों को इस काम में लगाए हुए हैं। इनके लिए ज्यादा बेटियों का मतलब है ज्यादा ग्राहक! ऐसे में जब आप किसी टैक्सी वाले से नीमच चलने के लिए कहते हैं तो उसके चेहरे में एक प्रश्नवाचक मुस्कुराहट स्वत: तैर आती है। इस यात्रा में अनायास ही ऐसे दृश्य सामने आने लगते हैं, जो आमतौर पर सरेराह दिनदहाड़े कम से कम मप्र में तो कहीं नहीं देखने को मिलते। हां, सिनेमा के रुपहले पर्दे पर जरूर कभी- कभार दिख रहते हैं। पलक झपकते ही मौसम की शर्मिला टैगोर चांदनी बार की तब्बू , चमेली की करीना आंखों के सामने तैरने लगती हैं। महू- नीमच राजमार्ग से गुजरते हुए जैसे ही मंदसौर शहर पीछे छूटता है। सड़क किनारे ही बने कच्चे-पक्के घरों के बाहर अजीब सी चेष्टाएं दिखने लगती हैं। वाहनों विशेषकर ट्रक, कारों को रुकने के इशारे करती अवयस्क, कस्बाई इत्र से महकती लड़किय...

ब्यूटी और मसाज पार्लर की आड़ में देहब्यापार (अंतिम भाग)

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भारतीय समाज की हमेशा से ही यह खासियत रही है कि यहां पुरुषों को महिलाओं से ज्यादा शक्तिशाली और उनसे कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण होने का सौभाग्य प्राप्त करता खासियत रही है कि यहां पुरुषों को महिलाओं से ज्यादा शक्तिशाली और उनसे कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण होने का सौभाग्य प्राप्त करता आया है. यूं तो प्रकृति ने पहले से ही महिलाओं को पुरुषों की अपेक्षा शारीरिक रूप से कमजोर बनाया है लेकिन सामाजिक और पारिवारिक क्षेत्र में उन्हें पुरुषों की तुलना में किस कदर कमजोर बना दिया गया है इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि जहां कहीं भी किसी महिला पर अत्याचार होता है उसका कारण प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में पुरुष ही होता है. पारिवारिक क्षेत्र में देखें तो विवाह से पहले उसे अपने पिता और भाई के सामने सिर झुका कर रहना पड़ता है और विवाह के पश्चात पति की आज्ञा मानना और ससुरालवालों की सेवा करना ही उसका एकमात्र धर्म रह जाता है. वहीं जब सामाजिक क्षेत्र पर नजर डाली जाए तो हालात इससे भी कहीं ज्यादा कष्टकारी नजर आते हैं. बलात्कार, यौन शोषण, शारीरिक हिंसा, आदि कुछ ऐसे बेहद जघन्य अपराध है जो पुरुष द्वारा महिलाओं के...

ब्यूटी और मसाज पार्लर की आड़ में भटकती पीढी (1)

मसाज पार्लर की राह हमारे युवा वर्ग को कहां तक ले जाएगी इसके बारे में अनुमान लगाना कठिन है. कहीं ये रास्ता उस नर्क का दर्शन कराती है जिसकी कल्पना मात्र से ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं और कहीं इस रास्ते पर चलकर कई लोग अपना सबकुछ खो चुके होते हैं. सांस्कृतिक पतन की ओर बढ़ते देश को ऐसी कुवृत्तियां बहुत तेजी से चोट पहुंचा रही हैं. केवल पैसे और क्षणिक सुख के लिए पूरी पीढ़ी की बर्बादी कहां तक उचित है. कोई बेरोजगारी की वजह से अपना राज्य छोड़कर दिल्ली आता है. एक दिन एक दैनिक अखबार में विज्ञापन देख कर मसाज पार्लर में काम के लिए संपर्क करता है. उसे काम भी मिल गया लकेिन पहले ही दिन जब वह काम पर गया, एक अधेड़ महिला का पहनावा और व्यवहार देखकर उसके पांव तले जमीन खिसक गई. मसाज के नाम पर वहां उपस्थित महिला ने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश की. मना करने पर उसने कहा कि पार्लर से इसी काम के तीन हजार रुपए में बात हुई है. ऐसा न किया तो शिकायत करूंगी. बेचारा काम की तलाश में यहां आया था और काम छोड़कर वापस बेरोजगार हो गया. लोग आज पैसे कमाने के लिए किसी भी हद तक गुजर सकते हैं और ऐसे में वेश्यावृत्ति के द...